कुछ लोग भी ऐसे होते हैं
जो पास में रहने वाले को
आंख दिखाया करते हैं।
जो दूर से आते हैं उनको
आंख बिछाया करते हैं
कुछ लोग भी ऐसे होते हैं
जो हर दौड में शामिल होने को
हरदम ही तत्पर रहते हैं।
हर दौड में आगे रहने को
जो हर दौड में शामिल होते हैं।
कुछ शख्स यहां पर ऐसे हैं
जो बहुत कमाने की खातिर
सब कुछ करने को राजी हैं।
जो रिश्ते, नातों को तोड़-छोड़
पैसे के रिश्तों पर कायम हैं।
कुछ लोग यहां पर ऐसे हैं
जो बहुत कमाने की खातिर
बहुत गंवाया करते हैं।
कुछ लोग यहां पर ऐसे हैं
जो बहुत कमाते हैं फिर भी
दाने-दाने को तरसते हैं।
कुछ लोग यहां पर ऐसे हैं
जो रिश्ते नातों की खातिर
जीवन को गुजारा करते हैं।
जो मर्म समझते हैं सबका
सबको अपना ही समझते हैं।
कुछ लोग यहां पर ऐसे हैं
जो राम नाम के चादर को
रोटी बेटी से लपेटे हैं।
पर राम नाम के सत को यारो
जीवन भर नहीं समझते हैं।
कुछ लोग यहां पर ऐसे हैं
जो मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों में
जीवन भर में यूं ही भटकते हैं।
जो धर्म और अध्यात्म का सत
कभी समझ नहीं पाते हैं।
- महेंद्रकुमार सिंह
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” People “
There are some people in this world
Who often glare at those nearby.
Yet roll out the red carpet wide
For strangers from afar who pass by.
There are some who always strive,
Eager to join every race and every tride,
Not for the journey or the cause,
But just to stay ahead in pride.
Some people here are willing to trade
All they have for wealth untold,
Breaking bonds with kin and blood,
For money’s embrace, so cold.
Some lose so much in the quest to gain,
And though they earn, they never thrive,
Despite their riches, they still yearn,
Struggling to keep their hopes alive.
But there are others, rare and kind,
Who live for ties of love and trust,
They see the worth in every heart,
Understanding life’s deeper thrust.
Some wear the name of God like a veil,
Intertwined with food and kin,
Yet the truth of God they fail to see,
Wandering blind in their earthly sin.
And others drift from shrine to shrine,
To temple, mosque, or holy ground,
Yet fail to see the sacred thread,
That binds all life, so profound.
- Mahendrakumar Singh
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