“जब कल्पना हकीकत से टकराए”
तुम लिखते जाते हो,
जैसे कोई पागल।
अरे, कवि केवल पागल ही नहीं होते,
वे बकवास भी करते हैं।
वे दूसरों को प्रेरित करते हैं,
पर स्वयं कल्पनाओं में खोए रहते हैं।
एक कवि को पकड़ो, मुख्यमंत्री बना दो,
प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंप दो।
उसे लेफ्टिनेंट जनरल बनाओ,
सेनापति का पद दे दो,
सीमा पर तैनात कर दो,
देश की रक्षा की जिम्मेदारी सौंप दो।
फिर देखो—
उसकी सारी प्रेरणा बकवास लगने लगेगी,
उसकी उड़ान धराशायी हो जाएगी,
और जो कभी स्वप्नों में जीता था,
वह हकीकत के बोझ तले दब जाएगा।
– महेंद्रकुमार सिंह
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