मेरी चाह / My Desire
” मेरी चाह “ वाकयों और हादसों का ज़िक्र करना चाहता हूँ,हार हो या जीत—बस लुत्फ़ उठाना चाहता हूँ।हौसले ना पस्त हों, नेक हो अपना इरादा,कर्मयोगी बनकर बस मैं यूँ ही जीना चाहता हूँ।दोस्तों को दुश्मनी से दूर रखना चाहता हूँ,ठग-ठगाई से मैं यारों, दूर रहना चाहता हूँ।यदि न कोई साथ दे, तो खुद ही…