हर शख्स यहाँ बड़ा तमीज़दार लगता है,
हर लौ से धुआं उठने को बेकरार लगता है।
लाख कमाए दुनिया पर दिया का दिया ही रहता है,
इसीलिए यह दिल मेरा मुझे खबरदार करता है।
आँखों पर बंधी है पट्टी दिखाई नहीं देती,
अंजाम बुरा होगा अंदाज़ा नहीं होता।
सब दौड़ रहे हैं इस दुनिया के मेले में,
पर देखो तो सब के सब अकेले ही हैं।
हर शख्स यहाँ बड़ा तमीज़दार लगता है,
हर लौ से धुआं उठने को बेकरार लगता है।
हे राम! क्या तुम्हें रावण दिखाई नहीं देता,
तुमने एक रावण से लड़कर बचाई थी अपनी दुनिया,
आज हर मोड़ पर हजारों रावण दिखाई देते हैं।
जैसा बोओगे वैसा ही तो काटोगे,
पाप बोओगे तो क्या पुण्य पाओगे।
यही तो सर्वविदित है कि जैसी करनी वैसी भरनी।
पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।
सत्य और अहिंसा पर चलो,
हिंसा से तौबा कर लो,
सत्य बोलो, झूठ और जुमलों से बचो,
सबका सम्मान करो, नारी का अपमान मत करो,
सबका साथ, सबका विकास…आदि आदि आदि।
अब मेरा विश्वास कहता है ये सब बकवास और ढकोसला है।
ना कोई साथ,
ना कोई विकास,
ना ही विश्वास और ना ही न्याय।
हर शख्स यहाँ बड़ा तमीज़दार लगता है,
हर लौ से धुआं उठने को बेकरार लगता है।
रावण पंडित था, ब्राह्मण था, बड़ा बुद्धिमान था,
शिव भक्त, संस्कारी और महा बलवान था।
सब पूजते हैं, जो उसे मानते हैं,
सब हंसते हैं राम पर,
जो उन्हें नहीं मानते हैं।
न राम जीते हैं, न रावण हारा है,
न राम हारे हैं, न रावण जीता है।
सब विचारों का हेर फेर है,
हर शख्स यहाँ बड़ा तमीज़दार लगता है,
हर लौ से धुआं उठने को बेकरार लगता है।