शहर के बाजार
शहर मेरा है महानगरपर शहरी नहीं शरीफ यहां। लोग बाग हैं आते सबवो होते नहीं अमीर यहां। अगर वो होते रौबदारयहां न आते बरखुरदार। दर दर की ना करते चाकरीन होते इतने मजबूर यार। देखो शहर के बाजार मेंहैं बैठे कितने लोग। लगाए अपनी अपनी दुकानसजाए करीने से सब भोग। देखो शहर के बाजार मेंमारा…