“हसीनों की दादागिरी”
चले आ रहे हैं,चले जा रहे हैंपर नजरें मिलाने से कतरा रहे हैं।हजारों दिलों की ये धड़कन हैं यारो,हजारों को यारों ये धड़का रहे हैं।एक ही हसीना से पाला पड़ा जब,हमे भी अब वो समझा रहे हैंरातों की नीदें, ना दिन को है चैन,ना जाने ये सब उड़ के कहां जा रहे हैं।ये समझे हैं…