संस्कार एक लौ है जो जलाई नहीं जाती,
धर्म एक भान है जो ऐहसास कराई नहीं जाती।
सूरज की रोशनी कम पड़ सकती है,
पर सत्य की लौ बुझाई नहीं जा सकती।
दिल के आईने में तस्वीरे यार की
हर वक्त हर किसी को दिखाई नहीं जाती।
गांधी एक दर्शन हैं, सुभाष एक सान,
लेकिन हो गए दोनों जवाहर के नाम।
जिन्ना एक आग थे, सबनम थे ,शोला थे,
जलते ही गए, जलना ही था, खाक होते ही ना थे।
पटेल एक बादल थे, छाए तो छाते ही गए,
कुछ बरसे, तो बूंदें मोती की तरह गिरती ही गईं।
कुछ चुन के रखा,कुछ सजो के रखा,
कुछ सपनों में छिपा के रखा।
आग जो शोला था, आग जो तपन थी,
सब खाक में मिल गई,जो बुझी तो जल न सकी।
हसरत है कि मुझे स्नेह करें,लोग प्यार करें,
हसरत है कि लोग मुझे मान दें और सम्मान करें।
हसरत है कि पाऊं, कमाऊं और आगे बढूं,
हसरत है कि गाऊं और गीत सुनाऊं,
हसरत है की छाऊं तो छाता ही जाऊं,
हसरत है कि क्या से क्या न हो जाऊं,
पर हसरत अगर पूरी होती तो लोग,
हकीकत की दुनियां से नाता तोड़कर,
हसरतों की दुनियां में बसेरा कर लेते।
– ✍️✍️🌐 महेंद्रकुमार सिंह 🌐✍️✍️
Comments on “संस्कार”
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Nice 👌
Thank you for Comment Avanish Singh ji
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